सरस्वति नमस्तुभ्यं वरदे कामरूपिणि ।
विद्यारम्भं करिष्यामि सिद्धिर्भवतु मे सदा ॥
विद्यारम्भं करिष्यामि सिद्धिर्भवतु मे सदा ॥
माँ शारदे कहाँ तू
वीणा बजा रही है …..2
किस मंजू ज्ञान से तू
जग को लुभा रही है …..4
वीणा बजा रही है …..2
किस मंजू ज्ञान से तू
जग को लुभा रही है …..4
किस भाव से भवानी तू
मगन हो रही है
विनती नहीं हमारी क्यों
माँ तू सुन रही है …….2
तेरे सिवा ओ माँ मेरी
दूजा कोई नहीं है ….2
किस मंजू ज्ञान से तू
जग को लुभा रही है …..4
माँ शारदे कहाँ तू
वीणा बजा रही है …..2
किस मंजू ज्ञान से तू
जग को लुभा रही है …..4
हम दीन बाल कब से
विनती सुना रहे हैं
चरणों में तेरे हम सब
सर को झुका रहे हैं …..2
तेरी दया से ओ मैया
ये दुनिया चल रही है
किस मंजू ज्ञान से तू
जग को लुभा रही है …..4
माँ शारदे कहाँ तू
वीणा बजा रही है …..2
किस मंजू ज्ञान से तू
जग को लुभा रही है …..4
हम को दयामयी तू
ले गोद में पढ़ाओ
अमृत जगत में हमको
माँ ज्ञान का पिलाओ …..2
कर दे दया की नज़र
विनती माँ यही है
किस मंजू ज्ञान से तू
जग को लुभा रही है …..4
माँ शारदे कहाँ तू
वीणा बजा रही है …..2
मातेश्वरी तू सुन ले
इतनी विनय हमारी
करके दया तू हर ले
बाधा जगत की सारी ……2
गुड्डू गोविंदा के भजन
शोभा बढ़ा रही है ….2
किस मंजू ज्ञान से तू
जग को लुभा रही है …..4
माँ शारदे कहाँ तू
वीणा बजा रही है …..2
किस मंजू ज्ञान से तू
जग को लुभा रही है …..4
माँ शारदे कहाँ तू
वीणा बजा रही है …..2
किस मंजू ज्ञान से तू
जग को लुभा रही है …..4
माँ शारदे कहाँ तू
वीणा बजा रही है …..2